Friday 16 July 2021

माचिस से घर









माचिस से घर
हम तीली से,
कभी जल जाते
कभी सीले से।

धूप को तरसे
और बारिश को,
बंद घरों में
तरसे आँगन को।

ए. सी. कमरों में
पीपल को सोचें,
सावन के झूले
हवा के झोंके।

काश छत पर चढ़
बारिश में नहाते,
ठहरे पानी में
कागज़ी नाव चलाते।

कैसे कर लें
माचिस से घर में,
अपने मन की
ये सारी बातें।

काश कि कोई
उपहार स्वरूप,
मुट्ठी में लाए
थोड़ी सी धूप।

अंजुली में भर
बारिश भी लाए,
थोड़ी नीम की
छांह ले आये।

साथ ले आए
वो अल्हड़पन भी,
वो बेफिक्री और
बचपन का मन भी।

~ प्रियंका सिंह

आप इस कविता का वीडियो मेरे यूट्यूब चैनल काव्यांजलि। Kavyanjali पर भी देख सकते हैं.