ये भीड़ मैं ही हूं
वो कहते हैं भीड़ में दम घुटता है
अब तो मॉल में भी जेंटरी नहीं, भीड़ आती है,
खुली सड़कें, ऐसी कमरे, खाली मॉल चाहिए
ग़रीबों की बस्ती से दूर आलीशान घर चाहिए,
चिथड़ों में लिपटा हर बच्चा चोर लगता है
जात पात का बंधन मजबूत डोर लगता है,
है गर्मी बहुत, एसी कार में भी लू लगती है
धूप में तपता मजदूर इंसां नहीं ढोर लगता है।
हमें याद आती हैं न जाने कितनी दोपहरें,
हाथ में कैमरा थामे बस्तियों में घूमना
उनके साथ बैठ कर चाय भी पीना,
न कभी जात पूछी, न कभी धर्म ही पूछा
सब को कुछ दर्द था, सब इंसां ही तो थे।
याद आयी गाजीपुर डंप की एक स्टोरी,
हम कूड़े के ढेर में घुटनों तक धंसे थे
सर पर मंडराती चीलें, हम घंटों से खडे थे,
सड़ांध थी, गज़ब गर्मी, पर नहीं थी कोई जल्दी
बस उस एक स्टोरी की फिक्र थी।
ऐसी एक नहीं अनगिनत दोपहरें याद हैं
सब लू, पसीने, गर्द और भीड़ से भरी,
गरीबों की भीड़, अमीरों की भीड़
नेताओं की भीड़, जनता की भीड़,
रैली की भीड़, एडमिशन की भीड़
कैमरों की भीड़, रिपोर्टरों की भीड़,
ये भीड़ ज़िंदगी है मेरी
इसमें दम नहीं घुटता,
इस भीड़ ने मुझे रोटी दी, इज्जत दी है,
ये भीड़ मैं ही हूं, ये भीड़ मेरी है
ये भीड़ मैं ही हूं, ये भीड़ मेरी है।
प्रियंका सिंह
अब तो मॉल में भी जेंटरी नहीं, भीड़ आती है,
खुली सड़कें, ऐसी कमरे, खाली मॉल चाहिए
ग़रीबों की बस्ती से दूर आलीशान घर चाहिए,
चिथड़ों में लिपटा हर बच्चा चोर लगता है
जात पात का बंधन मजबूत डोर लगता है,
है गर्मी बहुत, एसी कार में भी लू लगती है
धूप में तपता मजदूर इंसां नहीं ढोर लगता है।
हमें याद आती हैं न जाने कितनी दोपहरें,
हाथ में कैमरा थामे बस्तियों में घूमना
उनके साथ बैठ कर चाय भी पीना,
न कभी जात पूछी, न कभी धर्म ही पूछा
सब को कुछ दर्द था, सब इंसां ही तो थे।
याद आयी गाजीपुर डंप की एक स्टोरी,
हम कूड़े के ढेर में घुटनों तक धंसे थे
सर पर मंडराती चीलें, हम घंटों से खडे थे,
सड़ांध थी, गज़ब गर्मी, पर नहीं थी कोई जल्दी
बस उस एक स्टोरी की फिक्र थी।
ऐसी एक नहीं अनगिनत दोपहरें याद हैं
सब लू, पसीने, गर्द और भीड़ से भरी,
गरीबों की भीड़, अमीरों की भीड़
नेताओं की भीड़, जनता की भीड़,
रैली की भीड़, एडमिशन की भीड़
कैमरों की भीड़, रिपोर्टरों की भीड़,
ये भीड़ ज़िंदगी है मेरी
इसमें दम नहीं घुटता,
इस भीड़ ने मुझे रोटी दी, इज्जत दी है,
ये भीड़ मैं ही हूं, ये भीड़ मेरी है
ये भीड़ मैं ही हूं, ये भीड़ मेरी है।
प्रियंका सिंह