Tuesday 18 April 2023

काश




 



काश कि जानां मिले ही ना होते, 
सहरा में यूं गुल खिले ही ना होते।

तुम अनजान होते, हम अनजान होते,
चले मोहब्बत के सिलसिले ही ना होते।

ना कदम यूँ बढ़ाते, ना मिलते-मिलाते,
ये इश्क, ये शिकवे-गिले ही ना होते।

इक दिल ही तो था जो अपना था,
तुम दिल ले के यूं चले ही ना होते।

मोहब्बत में सब कुछ भुलाने की चाहत,
ये दिल की लगी के चोंचले ही ना होते।

अमर प्रेम पहले कहानी थी लगती,
गर प्रेम दीप दिल मे जले ही ना होते।

काश कि जानां मिले ही ना होते,
हम-तुम जानां मिले ही ना होते।

~ प्रियंका सिंह