ज्यों ज्यों ख़त्म हो रहा
हो रहा कमाल दिसंबर,
दिल्ली के सर्द मौसम का
जलवा-ओ-जमाल दिसंबर
सर्द हवा में रुख़सार
और सुर्ख़ हुए जाएं,
बिखरा नर्म गालों पर
बन गुलाल दिसंबर
मौसम तो मोहब्बत में
रास आते हैं सभी,
मुख्तलिफ़ है सर्द शामों
में विसाल दिसंबर
रिश्तों को गर्म रखती
चाहत की कांगड़ी,
अंगार प्रेम के दहकें
करे बेहाल दिसंबर
गुज़रते साल के शिकवे
दामन में सहेजे,
लाता है आते साल का
उजाल दिसंबर।
~ प्रियंका सिंह
जलवा - रोशनी, शोभा
जमाल- सौन्दर्य
रुख़सार- गाल
सुर्ख़- लाल
मुख्तलिफ़- अलग
विसाल- मिलन
शिकवे- शिकायत
उजाल - रौशनी