Wednesday 29 December 2021

दिसंबर







ज्यों ज्यों ख़त्म हो रहा
हो रहा कमाल दिसंबर,
दिल्ली के सर्द मौसम का
जलवा-ओ-जमाल दिसंबर

सर्द हवा में रुख़सार
और सुर्ख़ हुए जाएं,
बिखरा नर्म गालों पर
बन गुलाल दिसंबर

मौसम तो मोहब्बत में
रास आते हैं सभी,
मुख्तलिफ़ है सर्द शामों 
में विसाल दिसंबर

रिश्तों को गर्म रखती
चाहत की कांगड़ी,
अंगार प्रेम के दहकें
करे बेहाल दिसंबर

गुज़रते साल के शिकवे
दामन में सहेजे,
लाता है आते साल का 
उजाल दिसंबर।

~ प्रियंका सिंह

जलवा - रोशनी, शोभा
जमाल- सौन्दर्य
रुख़सार- गाल
सुर्ख़- लाल
मुख्तलिफ़- अलग
विसाल- मिलन
शिकवे- शिकायत
उजाल - रौशनी 


Saturday 18 December 2021

वो प्रेम











वो तुमसे किया जो प्रेम था,

किसी और से फिर किया ही नहीं


तन दिया, जीवन दिया पर
मन तो किसी को दिया ही नहीं

तुम जब चाहे स्वप्न में आ जाते,
किसी और को ये हक दिया ही नहीं

हर बार दुखाया दिल तुमने,
कभी कोई गिला किया ही नहीं

जहाँ छोड़ गये इक ज़ख्म तुम,
वो दिल का चाक सिया ही नहीं

वो चाक भी महके चंदन सा,
तेरी खुशबू को रुखसत किया ही नहीं

वो तुमसे किया जो प्रेम था,
किसी और से फिर किया ही नहीं।

~ प्रियंका सिंह