Friday 23 September 2022

कुछ बे-हया औरतें








कुछ बे-हया औरतें
उतरी हैं सड़क पर
अपना चेहरा दिखातीं,
जल्दी ढको उन्हें
कि दिख ना जाए
उनका दर्द और उदासी

कुछ बे-हया औरतें
नहीं रहना चाहती
फूल सी नाजुक,
तोड़ डालो उन्हें 
कि बदल न जाएं
वो शोलों में

कुछ बे-हया औरतें
बोलने लगी हैं,
दबा दो ये आवाज़
इस से पहले कि
इनकी चीखें
कानों को चीर जाएं

कुछ बे-हया औरतें
मांगती हैं अपना हक
वो जीना चाहती हैं,
कुचल दो उन्हें
कि साँस लेने का हक
है सिर्फ मर्द को

कुछ बे-हया औरतें
बनना चाहती हैं इंसान,
मार डालो उन्हें
इस से पहले कि
वो बन जाएं
जानवर से इंसान

~ प्रियंका सिंह

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